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वे मुश्किलों में भी हँसने की बात करते हैं / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
वे मुश्किलों में भी हँसने की बात करते हैं
जो फूल हैं वो महकने की बात करते हैं
मैं अपनी सीमा से बाहर कभी नहीं जाता
वो हद से आगे गुजर ने की बात करते हैं
जो शुद्ध सोना नहीं हैं, वे लोग ही अक्सर
कसौटियों को परखने की बात करते हैं
हम अपने रात के सपनों को भूल जाते हैं
वे रोज रात के सपने की बात करते हैं
जो अवसरों की महत्ता बता रहे हैं मुझे
समय के साथ बदलने की बात करते हैं
वो चल रहे हैं, मगर, दूसरे के पैरों पर
हम अपने पाँव पे चलने की बात करते हैं
जो खेलते रहे लोगों की भावनाओं से
वो भावना को समझने की बात करते हैं