भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो देखने में बेवफ़ा लगता तो नहीं है / सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो देखने में बेवफ़ा लगता तो नहीं है ।
चेहरे पे उसके देखिए चेहरा तो नहीं है ।

दरिया किनारे रेत पे उसने लिखा है कुछ,
मैं सोचता हूँ नाम वो मेरा तो नहीं है ।

वो फिर किसी के प्यार में डूबा है इन दिनों,
ये फिर किसी ग़रीब का सपना तो नहीं है ।

ढूँढू उसे तो चैन-सा मिलता है रूह को,
वरना वो मेरे शहर में रहता तो नहीं है ।

रक्खा मुझे सहेज कर जिसने तमाम उम्र,
कहने को उससे यूँ मेरा रिश्ता तो नहीं है ।