वो परचम वाले, परचम लहराते आयेंगे
आधे डंका, आधे गाल बजाते आयेंगे।
साफा पगड़ी, टोपी वाले सब संभलो बाबा
दस्तारों के सारे पेंच हिलाते आयेंगे।
कई ज़मातें, खारिज़ लोगों की यूं हीं डोलें
राग पुराना, डफली नई सुनाते आयेंगे।
चल निकला ये चलन आजकल जाने कैसा है
इक-दूजे को सभी यहां गरियाते आयेंगे।
सारे कहते केवल दामन उसका उजला है
चलो मौज में इन सबको, पतियाते आयेंगे।
अमन और गोली का रिश्ता बहुत पुराना है
अमन पसंद लोग गोली चलवाते आयेंगे।
इक बच्चे की हंसी अगर साज़िश कहलायेगी
इस साज़िश में हम भी शामिल होते आयेंगे।