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वो लड़की / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
वो लड़की थी और बात बात पर अकड़ती थी
वो लड़की थी और अपने हक के लिए लड़ती थी
वो लड़की थी और कहती थी उसे आगे बढऩा है
वो लड़की थी और कहती थी उसे अभी पढऩा है
वो लड़की थी और कहती थी उसे किसी से प्यार करना है
वो लड़की थी और कहती थी रात को अकेले कहीं भी आना-जाना है
वो लड़की थी और कहती थी खुलकर हँसना है
वो लड़की इस तरह कई बड़े सपने देखती थी
उसकी इच्छाओं ख्वाबो के ये फूल आज भी मेरे भीतर ताज़ा हैं
जैसे अभी-अभी खिले हैं
और लड़की भी जिंदा है क्या मेरे अन्दर!