(राग ललितपञ्चम-तीन ताल)
शङ्ख-गौर पट रीछ-छाल, शंकर सुखकारी।
तीन नयन, भुज चार, शूल-डमरू बर धारी॥
पिंगल जटा पबित्र सुर-धुनी-धारा राजत।
अर्धचन्द्र शुचि श्रवन-सुमन धार बिराजत॥
जय त्रिपुण्डधर भय-हरण जय भुजन्ग-भूषण परम।
जय महेश जय भूतपति आशुतोष मंगल परम॥