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शङ्ख-गौर पट रीछ-छाल / हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग ललितपञ्चम-तीन ताल)

शङ्ख-गौर पट रीछ-छाल, शंकर सुखकारी।
 तीन नयन, भुज चार, शूल-डमरू बर धारी॥
 पिंगल जटा पबित्र सुर-धुनी-धारा राजत।
 अर्धचन्द्र शुचि श्रवन-सुमन धार बिराजत॥
 जय त्रिपुण्डधर भय-हरण जय भुजन्ग-भूषण परम।
 जय महेश जय भूतपति आशुतोष मंगल परम॥