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शब्द-5 / केशव शरण
Kavita Kosh से
शब्द
कभी चोट कर जाते हैं
और कभी चोट पर
मरहम भी लगाते हैं
यह वक़्त-वक़्त की बात है
यह शब्द-शब्द की बात है