शारदे की कृपा से चली लेखनी
आज सबको लगेगी भली लेखनी
बात जो भी कहूँगा सभी सत्य हैं
सत्य से ही निकलकर फली लेखनी
दुष्ट के साथ रखना नहीं नम्रता
दे हृदय में मचा खलबली लेखनी
तोप तलवार बम या किसी अस्त्र से
है सभी से बहुत ही बली लेखनी
जा न सकती जहाँ सूर्य की रोशनी
देख लो तो मिले हर गली लेखनी
बात सबके भले की अगर यह करे
तो किसी को कभी ना खली लेखनी
जब हृदय से निकलती सरस भावना
तो खिले पद्य की बन कली लेखनी
बात ‘बाबा’ कहें तो लगेगी हँसी
यह बनी रह गयी मनचली लेखनी