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जाने-अनजाने न देख / बाबा बैद्यनाथ झा
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जाने-अनजाने न देख
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रचनाकार | बाबा बैद्यनाथ झा |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- लाश अपनी ही उठाए चल रहा हूँ आज भी / बाबा बैद्यनाथ झा
- गाँव कस्बे मुल्क की तस्वीर होती है ग़ज़ल / बाबा बैद्यनाथ झा
- बज्र-सा घातक कभी कोमल रही है लेखनी / बाबा बैद्यनाथ झा
- किसी अन्याय के आगे झुकेगी अब नहीं नारी / बाबा बैद्यनाथ झा
- आज महफिल को झुमाने हम सभी आए हुए हैं / बाबा बैद्यनाथ झा
- चला जाऊँ अगर जग से मुझे बस यह वचन देना / बाबा बैद्यनाथ झा
- सोचकर हरदम हमें अब पग बढ़ाना चाहिए / बाबा बैद्यनाथ झा
- शारदे की कृपा से चली लेखनी / बाबा बैद्यनाथ झा
- शराफ़त की यहाँ मंडी बहुत ही आज मंदा है / बाबा बैद्यनाथ झा
- सीख मिलती ही नहीं तो वह कहानी व्यर्थ है / बाबा बैद्यनाथ झा