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सोचकर हरदम हमें अब पग बढ़ाना चाहिए / बाबा बैद्यनाथ झा

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सोचकर हरदम हमें अब पग बढ़ाना चाहिए
दुख मिले या सुख मिले पर मुस्कुराना चाहिए

ठोकरें खायीं बहुत ही इस जमाने से सदा
हाल दिल का महफिलों में ही सुनाना चाहिए

अत्यधिक विश्वास में ही मानकर उसको खुदा
उस फरेबी को कभी भी घर न लाना चाहिए

आज भी सब कह रहे हैं अनगिनत क़िस्से यहाँ
नाम ले उस दुष्ट का क्यों जग हँसाना चाहिए

हैं यहाँ ही पल रहे कुछ देश के दुश्मन सदा
गौर से पहचान उनको अब भगाना चाहिए

रोज ही यह दिल धड़कता क्यों उसी को यादकर
बेबफा का नाम भी ना याद आना चाहिए

मित्र रख यह सावधानी प्यार में धोखे बहुत
सोचकर ही अब किसी से दिल लगाना चाहिए

कह रहा है आज ‘बाबा’ ध्यान दे सुन लें सभी
कृष्ण का ही नाम हरदम गुनगुनाना चाहिए.