शिकार हुआ अलाचार हुआ इन जुल्मों का भरपूर / सतबीर पाई
शिकार हुआ अलाचार हुआ इन जुल्मों का भरपूर
ध्यान यू कर ले नै मजदूर...
उठ सवेरै तनै काम की लगन रहै सै
सारा दिन करै काम शाम तक मगन रहै सै
नहीं जान की परवाह चढ्या तू गगन रहै सै
करै मेहनत दिन रात गात तै नग्न रहे सै
आँख खोल कुछ मुँह तै बोल यू सै कोण का दस्तूर...
अस्टेशनां पै जा कै देखे भाई राखी चक और तार तनै
कुली कहै कोई रुक्के मारै कहकै पल्लेदार तनै
गाड़ी आ ली कर दी खाली इसा मिल्या रोजगार तनै
करे काम के भी दाम नहीं क्यूं लाया नहीं विचार तनै
पड्या रहै कितै खड्या रहै तू हो कै नै मजबूर...
लम्बे मोटे कामां पै तनै मिलती मजदूरी थोड़ी
मिल कंपनी मैं करै नौकरी कदे कूटता तू रोड़ी
तेरे हाथ तै काम लिया पर आँख तेरे तै ना जोड़ी
सोच समझ कै देख लिए के आँख तेरी कोन्या फोड़ी
के खोट तेरा दिया घोट तेरा यू गल़ क्यूं बिना कसूर...
सुण सुण कै हालात बात पै न्यू आवै सै रोणा रै
सारा दिन करै काम शाम नै फुटपाथां पै सोणा रै
बिना अकल के पड्या आज न्यू बोझ बिपत का ढोणा रै
न्यू ना जिन्दगी कटै तेरी इब एक पड़ैगा होणा रै
पाई मैं रहै सतबीर कहै या मानो बात जरूर...