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शून्यकाल से घट रही महाघटना / वाज़दा ख़ान

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पूरे जग का अंधियारा
एक जीवन में कैसे
उतर आता है, ये तुम्हें देखकर
जाना चांद
खूबसूरती में लोग
तेरा नाम लेते हैं
दुनिया के सारे महाग्रंथ
गढ़े जाते हैं तुम्हें देखकर
पर चांद तुम कितने उदास हो.
तुम्हारे वश में कुछ नहीं
कितने मजबूर हो तुम
गोल-गोल धरती पर
गोल-गोल सा दमकने के बाद
तुम्हारा ह्रास होना ही है.
तुम न चाहो तो भी
धरती न चाहे तो भी
दरअसल तुम्हें
धरती के चांद के रूप में आरोपित होना
नहीं था
जब तुम्हारा खुद पर वश
नहीं, तो उसे कैसे संवारोगे
कैसे दोगे उसे इस सच का ज्ञान
जब सच इतना निर्मम हो.
चलो जाने दो इस बातचीत की
दौर को
ये कोई कहानी तो नहीं
जिसकी शुरुआत और अंत हो
ये तो एक महाघटना है
जो शून्यकाल से घट रही है
अब चांद युग में.