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सँवरिया आन मिलो ! / कांतिमोहन 'सोज़'

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सुन्दर चतुर सुजान
सँवरिया आन मिलो !
निकस न जाय मोरी जान
सँवरिया आन मिलो !!

भूख नसानी मोरी नींद नसानी
बैरिन हो गई रात की रानी
घर मोहे खाने आय सेज बेगानी
कौन सुनेगा मोरी अकथ कहानी
मैं जग से अनजान !
सँवरिया आन मिलो !

सुन्दर चतुर सुजान
सँवरिया आन मिलो ।।

मोहे दीवाना कहें लोग सयाने
अपने-पराए सभी मारे हैं ताने
लाख मनाऊँ मोरा मन नाहिं माने
तोरे सिवा कछु ना पहचाने
ये मूरख नादान !
सँवरिया आन मिलो !

सुन्दर चतुर सुजान
सँवरिया आन मिलो ।।