भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संविधान इन गरीबां का इंसाफ करैगा / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संविधान इन गरीबां का इंसाफ करैगा।
देश सदा इसको न्यूए याद करैगा।...टेक

डॉ. अम्बेडकर जान्दा ऐ अंग्रेजां तै टकर्या।
तेरे भी गुलाम इनके भी गुलाम तनै के यो इन्साफ कर्या
तैं भी हो आजाद उनै भी वादा पक्का कर्या।
इसे बात पै ये गांधी नै मरण व्रत कर्या।
होया शौक इसा रोग तेरे नाम पै मरैगा...

जै तूं न्यारा पाटैगा इनका हाल के होगा।
ये रहै ठोकर कै आगै हक तो इनका भी होगा।
भाई-भाई सभी एक ना द्वेष किसे तै होगा।
छुआछूत करो इनतै, मेल किस तरियां होगा।
आज तै आगै छुआछात कोऐ नहीं करैगा...

इन गरीबां का हाल यू देख्या ना जान्दा।
बिराग लागग्या बेदन छिड़गी बहम इनै का रहन्दा।
रिजर्व सीट म्हं हक इनका सब तै अलग लगान्दा।
दलित की टक्कर म्हं दलित ए आवै कानून इसा बनांदा।
इन गरीबां के तो यो भीम ए पूरे करैगा...

साधना का प्रतीक एक मिशन बणैगा।
सबका हो एक इशारा जद यो बदलैगा।
मनुवादियां का होवै सफाया वो खड़ा लखावैगा।
भूख देश म्हं रहै कोनी रोजगार सब नै पावैगा।
अमरसिंह छाछिया बड़सी का थारी मन की चाही करैगा।