भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच की राहें चलना हरदम / मृदुला झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये कोशिश तुम करना हरदम।

अवरोधों से डरना कैसा,
सीना ताने चलना हरदम।

देश की खातिर जीना हरपल,
देश की खातिर मरना हरदम।

दुख से अब घबराना कैसा,
हँसकर दुख को सहना हरदम।

आँसू आते-जाते रहते,
उनसे क्यों कर डरना हरदम।