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सड़क पर भटकते, घूमते / ज्योति खरे
Kavita Kosh से
सड़क पर
भटकते, घूमते
अचानक प्यार में
गिरफ़्तार हो गया
लोग कहते हैं
वो आबाद हो गया
थोड़ी-सी
ज़मीन ही तो
मिली थी उसे
ग़रीब मर गया
ज़मीदार हो गया