यह  बिलकुल सही है कि
सन्तों की वाणी सुनकर 
सन्तों का जीवन देखकर 
सन्तों का सुख देखकर 
साधारण आदमी भी 
सन्त बनना चाहता है 
    
सरल है सन्त बनना 
भगवा वस्त्र पहनना 
चन्दन का टीका लगाना 
शब्दजाल में 
भक्तो को उलझाना 
सन्त बनने के लिए
बिलकुल ज़रूरी नहीं है जानना 
हिमालय क्यों पिघल  रहा है 
सूख रही हैं क्यों नदियाँ 
युद्ध के क्या होंगे परिणाम 
सन्त तो बस 
हर तरफ़ से आँखें मून्द कर
जीवन में भक्ति भाव का 
पाठ पढ़ाता है
सन्त के लिए 
यह जानना  भी ज़रूरी नहीं है 
क्या होता है
किराए के मकान का दुख 
पत्नी की प्रसव - पीड़ा  
बच्चे का स्कूल मे दाख़िला 
प्रतियोगिता के इस दौर में 
ख़ुद से ख़ुद का संघर्ष 
सच तो यह है की 
सन्त 
गृहस्थी  के लफड़े से भागा हुआ  
गैर  दुनियादार आदमी होता है