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समय का इशारा भी देखा है तुमने / मृदुला झा
Kavita Kosh से
अजी वह नजारा भी देखा है तुमने।
अभी तो गमों को रखो दूर खुद से,
कि जश्ने बहारा भी देखा है तुमने।
गमों का समुंदर भी देखा है लेकिन,
खुशी का पिटारा भी देखा है तुमने।
जिसे बेसहारा ही छोड़ा था आखिर,
उसी का सहारा भी देखा है तुमने।
विषय वासना से सदा दूर रहता,
सभी का दुलारा भी देखा है तुमने।