सम्वाद
मृत्यु का था
मुँह में कौर
जीवन
फन बचाते साँप की तरह
बाँबी से दूर होने के दु:ख से
विचलित हुआ थोड़ा-थोड़ा
और
खड़ा हो गया
फुफकारने के अन्दाज़ में
काल के विरुद्ध काल की तरह
बराबर की जोड़ का
साहस और बल लेकर
कौर गले के नीचे उतरा
सम्वाद मृत्यु का होने के बावजूद ।
रचनाकाल : 1991 विदिशा