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साल आकर बड़ी तेज़ी से गुज़र जाते है / शेरजंग गर्ग

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साल आकर बड़ी तेज़ी से गुज़र जाते हैं।
पर बदलते नहीं, जीवन के बही-खाते हैं।

मंज़िलें भूलना लाज़िम है मुसाफिर के लिए,
रास्ते-रास्तों में हर जगह टकराते हैं।

जन्म फुटपाथ पर, फुटपाथ पर ही उम्र कटी,
पेट पर हाथ रख, फुटपाथ पर सो जाते है।

ज़ुल्म की धूप कड़ी, यातना हर सिम्त नामंज़ूर,
दोस्तो, हम यहाँ इंसानियत के नाते हैं।