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सुनिया सघन मुरली तान हरि प्रेमाकुल भेल पराण / भवप्रीतानन्द ओझा

झूमर

सुनिया सघन मुरली तान हरि प्रेमाकुल भेल पराण
बिसरल सुधि घर के
बिनू श्री श्याम दहत काम वरषा कूल शरके
बाजत धन वंशी वंशीधर के
नागर के, नटवर के, गिरिधर के
बरसे भयान भादव राति, सघन चमके बिजूली बाती
गरजन जलधर के
बिनूँ गोविन्द नाहिक निन्द
सेज सम विषधर के
लइया मालती मधुर गंधा बहत पवन मन्द मन्द
गुंजन मधुकर के
दारुण पपीहा रटे पिया-पिया
उर से पीर जहर के
सारस करत सरस गान, प्रेम रस बिनु तरसे प्राण
सुरति रसिक वर के
भवप्रीता मन चंचरीक येन
कमल पद सुंदर के।