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सुरक्षा / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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कई दिन से एक पगली
भूखी-धाई नंगी-अधनंगी घूम रही थी
इधर-उधर सड़क-चौराहों पर

लोग उसको चिढ़ाते-छेड़ते
कुछ दे जाते
कुछ ले जाते

वह रोती कभी हँसती
एक दिन सबने दु:ख और सहानुभूति के साथ देखा
वह पेट से थी

वह सुरक्षित रहे
इसलिए एक दिन उसे पुलिस ले गयी

क्या अब रहेगी सुरक्षित, पगली?