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सूखा / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
पेड़ कहता है मुझे मत काटो
हम नहीं सुनते
पंछी कहता है मुझे मत मारो
हम शिकार करते हैं
पानी कहता है व्यर्थ मत बहाओ
हम करते हैं दोहन उसका
मनुष्य इनकी नहीं सुनता
पेड़ न होंगे
हवा न होगी, वर्षा न होगी
और पड़ेगा सूखा
पंछी न होंगे
मीठा राग कहाँ सुन पायेंगे
पानी न होगा
अगला विश्वयुद्ध सन्निकट होगा