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सूरज जनमा / केदारनाथ अग्रवाल
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सूरज जन्मा,
सुबह हुई।
सूरज डूबा,
शाम हुई।
रात,
अँधेरे की
संगत में,
बुरी तरह
बदनाम हुई।
रचनाकाल: ०४-०१-१९७८