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सूरज ने खोले नयन , किरणों की बरसात / रंजना वर्मा

सूरज ने खोले नयन, किरणों की बरसात
सब अँधियारा मिट गया, सहमी भागी रात

कलियों की परियां खड़ीं, पंखुरियों की ओट
तितली के है अधर पर, कोई मीठी बात

भँवरे गुनगुन कर रहे, सुमन वृन्द के द्वार
मुग्ध मगन हो पुष्प सब, बाँट रहे सौगात

सांझ हुई सूरज चला, जब सागर की ओर
लहरें सब बेचैन हैं, उठते झंझावात

पोर पोर में पीर ने, बना लिया जब ठौर
हरि सुनता फ़रियाद है, पूछे जात न पाँत

मोहन महिमा आप की, कौन सका है जान
मरहम ले पहुँचे सदा, जब लगता आघात

सखा द्रौपदी के बने, रण में थाम लगाम
रथ हाँका श्री कृष्ण ने, अर्जुन का बन तात