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सूर्य होना आग होना है / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र

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यही सच है
सूर्य होना आग होना है
 
बिना-दहके रोशनी बनना
सुनो, मुमकिन नहीं है
साँस में जिसके नहीं चिनगारियाँ
वह दिन नहीं है
 
सुबह होना
जली लौ से आँख धोना है
 
रात-भर जलता अकेले
तभी दीपक सिद्धि पाता है
भाई, मानें
हर शमा का
सूर्यकुल से सगा नाता है
 
राख होना
प्राण के फिर बीज बोना है
 
एक ज्वालामुखी
जब भीतर पलेगा
तभी अगली भोर होगी
रात बीतेगी अमावस
रोशनी घनघोर होगी
 
और इसके लिए
हाँ, बेहद ज़रूरी ख़ुदी खोना है