भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सोसती सिरी लिखा ‘ईश्वर’ ने ईद मुबारक यार कलाम / ईश्वर करुण
Kavita Kosh से
सोसती सिरी लिखा ‘ईश्वर’ ने ईद-मुबारक यार कलाम
रहे बुलंद सितारे और तकदीर चकाचक यार कलाम।
धर्म तुम्हारा, धर्म हमारा माना अलग-अलग लेकिन
जीवन की सच्चाई में हम दोनों पूरक यार कलाम।
दूध-सेवियाँ, टोपी-कुर्ते क्या हिन्दू क्या मुस्लिम के
भूखे नंगों को जकात का सब को है हक यार कलाम
साथ दूर तक चले वही जो दोस्त बने हैं सुख-दुख में
दुश्मन बनकर चल पाया है कौन कहाँ तक यार कलाम।
पैदा हो शक भाई-भाई में ईद-दिवाली लड़ लड़े
हम न सुने ऐसी नीयतवालों की बक-बक यार कलाम।
भाभी हैं कह रही नमस्ते भेज रही हैं माँ आशीष
अम्मा का खत दुआ भरा पहुंचा ‘ईश्वर’ तक यार कलाम।
थोड़ा लिखना, बहुत समझना कलम बंद करता हूँ अब
मानवता के द्वार पे दें हम दोनों दस्तक यार कलाम।