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स्मरण / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
देह के
सो जाने पर भी
जागती रही याद
याद के साथ
जागता रहा
प्यार
और दोनों की
तकली से झरते तार
टूटे नहीं कभी !!