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स्वभाव / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
जैसे आग ताप को नहीं खोती
जैसे लहर पानी को नहीं छोड़ती
जैसे हवा गति से मुँह नहीं मोड़ती
वैसे ही मैं स्त्री, हँसना नहीं छोड़ती