जैसे आग ताप को नहीं खोती
जैसे लहर पानी को नहीं छोड़ती
जैसे हवा गति से मुँह नहीं मोड़ती
वैसे ही मैं स्त्री, हँसना नहीं छोड़ती
जैसे आग ताप को नहीं खोती
जैसे लहर पानी को नहीं छोड़ती
जैसे हवा गति से मुँह नहीं मोड़ती
वैसे ही मैं स्त्री, हँसना नहीं छोड़ती