हंसते हुए हुरूफ़ में जिस को अदा करूँ / 'शहपर' रसूल

हंसते हुए हुरूफ़ में जिस को अदा करूँ
बच्चों से किस जहाँ की कहानी कहा करूँ

या रब अज़ाब-ए-हर्फ़-ओ-तख़य्युल से दे नजात
ग़ज़लें कहा करूं न मज़ामीं लिखा करूँ

क़दमों में किस के डाल दूं ये नाम ये नसब
कुछ तो बताओ किस का क़सीदा पढ़ाक करूँ

अब तक तो अपने आप से पीछा न छुट सका
मुमकिन है कल से आप के हक़ में दुआ करूँ

कितनी नई ज़बान हो कैसा नया सुख़न
इस अहद को तो देख लूँ ‘ग़ालिब’ को क्या करूँ

‘शहपर’ मिरी हदों का तअय्युन करे कोई
आँखों से बह रहूँ कि रगों में फिरा करूँ

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.