भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमारी ज़िंदगी में पहले भी व्यवधान आया है / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारी ज़िंदगी में पहले भी व्यवधान आया है
मगर इस बार तो जैसे कोई तूफ़ान आया है

दिखायी दे रहा तुमको हवा का नर्म झोंका ही
उसी के साथ मेरी मौत का सामान आया है

इसे सरकार ही जाने समझ में कुछ नहीं आता
कि किसकें फ़ायदे का है नया जो प्लान आया है

यहाँ के पेड़-पौधे भी नमस्ते की है मुद्रा में
बड़े दिन बाद मेरे घर कोई मेहमान आया है

मेरी कविता, मेरी ग़ज़लें तो अक्सर लोग पढ़ते हैं
मेरी दुखती हुई रग का किसी को ध्यान आया है

किसी से क्या गिला शिकवा हमारी ही ख़ता होगी
समंदर ढूंढने निकले तो रेगिस्तान आया है