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हमारी ज़िंदगी में पहले भी व्यवधान आया है / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
हमारी ज़िंदगी में पहले भी व्यवधान आया है
मगर इस बार तो जैसे कोई तूफ़ान आया है
दिखायी दे रहा तुमको हवा का नर्म झोंका ही
उसी के साथ मेरी मौत का सामान आया है
इसे सरकार ही जाने समझ में कुछ नहीं आता
कि किसकें फ़ायदे का है नया जो प्लान आया है
यहाँ के पेड़-पौधे भी नमस्ते की है मुद्रा में
बड़े दिन बाद मेरे घर कोई मेहमान आया है
मेरी कविता, मेरी ग़ज़लें तो अक्सर लोग पढ़ते हैं
मेरी दुखती हुई रग का किसी को ध्यान आया है
किसी से क्या गिला शिकवा हमारी ही ख़ता होगी
समंदर ढूंढने निकले तो रेगिस्तान आया है