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हर खुशी की आँख में आँसू मिले / जहीर कुरैशी

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हर खुशी की आँख में आँसू मिले
एक ही सिक्के के दो पहलू मिले

कौन अपनाता मिला दुर्गंध को
हर किसी की चाह है ,खुशबू मिले

अपने—अपने हौसले की बात है
सूर्य से भिड़ते हुए जुगनू मिले

रेत से भी तो निकल सकता है तेल
चाहता है वो, कहीं बालू मिले

आँकिए उन्माद मत तूफान का,
सैंकड़ों उखड़े हुए तंबू मिले

जिसने दाना डाल कर पकड़ी बटेर
हाँ, उसी की जेब में चाकू मिले

नाव को खेना तभी संभव हुआ
जब किसी मल्लाह को चप्पू मिले.