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हर चीज़ बदलती है / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
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हर चीज़ बदलती है।
अपनी हर आख़िरी साँस के साथ
तुम एक ताज़ा शुरुआत कर सकते हो।
लेकिन जो हो चुका, सो हो चुका।
जो पानी एक बार तुम शराब में
उँडेल चुके हो, उसे उलीच कर
बाहर नहीं कर सकते।
जो हो चुका, सो हो चुका है।
वह पानी जो एक बार तुम शराब में उँडेल चुके हो
उसे उलीच कर बाहर नहीं कर सकते
लेकिन
हर चीज़ बदलती है
अपनी हर आख़िरी साँस के साथ
तुम एक ताज़ा शुरुआत कर सकते हो।
(1941-47)
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल