हर चीज बेचते हम सौदागर अलबेले / दयाचंद मायना
हर चीज बेचते हम सौदागर अलबेले...टेक
नामी है अस्टोर म्हारा, सारे मुल्कों म्हं सरनाम
आवागमन खरीददारों की, रहती भीड़ सुबह और शाम
फायदे म्हं हर चीज मिलती, सस्ती कीमत थोड़े दाम
सैनलेट और लाइफबॉय, रेक्सोना और लक्स हमाम
मारगो और कार्बनिक जो नहाणे म्हं आता काम
नीम सोप और कोलगेट से, सुन्दर काया रहै मुलायम
बाल साफ, सेविंग का साबण, जी चाहे जिसा लेले...
चमेली और अतर केवड़ा, आंवला और जुल्फे बंगाल
कमर ओढ़नी, काची धानी, करास टेल से बढ़ते बाल
कोकोनैट रात की रानी, जिसकी खुशबू जुल्म कमाल
पेटीकोट और जम्फर, साड़ी, काली, पीली, हरी और लाल
चप्पल, सूज खड़ी ऐड़ी के, पहरणिया हो खुश निहाल
घड़ी बैटरी, फाऊंटेन पैन और पक्की पैंसिल नेजेसाल
सूटकेस और कंघे शीशे, हैंडबैग और थैले...
लाठी, सांग और गदा, कुल्हाड़े, जिनपै छः आंगल की धार
बल्लम, भाले, बैनट, बर्छी, चाकू, छुरी और तलवार
राईफल, तोब और पिस्टल बेचैं, जिसकी सौ गज तक की मार
अगर बोट और जहाज समुन्द्री, एरोप्लेन पै चढ़ै सवार
ऊंट डकैती, जलीयर घोड़े, जो दरिया को करते पार
तांगे, रिक्सा, रथ, मंझोली, फिटफिट, लारी, जीप और कार
जय हिन्द साईकिल जोर-शोर की, हरकुलस और रेले...
व्हिस्की, जीन और बीयर, बरैण्डी, माल्टा और रम शराब
अमरीका और रूस जर्मनी, लंदन तक के पीते साहब
आठों पहर नशे म्हं रहते, राजे, सूबे और नवाब
वेद शास्त्र, पुस्तक, पोथी, और गाणे की बिकै किताब
दक्षिण और बंगाल, भूटानी, यू.पी.सी.पी. और पंजाब
हरियाणे के छनद भजन, तू एक बै पढ़कै देख जनाब
यो ‘दयाचन्द’ छन्द टाईप करै, गुरु मुंशी के चेले...