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हवा चल रही है अभी मौसमी / बाबा बैद्यनाथ झा

हवा चल रही है अभी मौसमी।
कहीं आज घूमें चलो मनचली।

ग़ज़ब की अदाएँ निराली हँसी।
करूँ आज तारीफ़ इस हुस्न की।

अभी शर्म करना नहीं ठीक है,
खिला फूल हो तुम नहीं हो कली।

जवानी मिली है उठा फ़ायदा,
सयानी बनो अब अरी बावली।

बने प्यार ‘बाबा’ कहानी अमर,
कलम आज पकड़ो लिखो शायरी।