हाथी चला घुमता अपनी मस्त रेस म्हं / अमर सिंह छाछिया
हाथी चला घूमता अपनी मस्त रेस म्हं।
पंजा-फूल ये दोनों आगे इसकी फेट म्हं।...टेक
बैठो हाथी पै भाइयो रै नारा भीम का लाग्या।
फूल भी इबकै यो पां कै तलै आग्या।
पंजा भी हल्का छोड़ कै इब कै आग्या।
घर लेणा भी इसनै मुश्किल होग्या।
गोडे-टूटगे ना चाल्या जान्दा दर्द होग्या पेट म्हं...
फिरगी लहर ना इनकी खैर यो इंसाफ होवैगा।
जो टक्कर म्हं आवै उसे का सफाया होवैगा।
तीन-तिहाई बहुमत इबकै थारा ए आवैगा।
बी.एस.पी. आगी तो भला सबका ए होवैगा।
और लाभ इतणा होवैगा जणूं मीह बरसै जेठ म्हं...
बड़कै बीच म्हं करै काट ये चालाकी कै।
धक्का पेल फिरै गेल इस गरीब जाति कै।
थामनै कदे जिन्दगी म्हं सेधै नहीं तेल ला ल्यो लाठी कै।
और चढ़ जाओ इनकी छाती पै मोहर ठोको हाथी कै।
जणूं शराबी पड़ा गाल म्हं मुंह भरा रेत म्हं...
बी.एस.पी. के दियो वोट हां भरी सारां नै।
बण के चौधरी चाल्या आगै ना देवण दूं म्हारा नै।
बड़सी म्हं सुणी होगी आग लाई लुंगाड़ां नै।
ब.स.पा. आलै का करैं स्वागत माला घाली सारां नै।
200 बिटोड़े फूंके इनकी सबकी देख म्हं...
मायावती तो देश का विकास ए चाह्वै सै।
जिसनै करा विरोध उसे का टिकट कटावै सै।
बंजर-भूमि सरकारी ‘रकबा’ गरीबां के नां करावै सै।
जिसकै पास जमीन नहीं नौकरी सरकारी लावै सै।
अमरसिंह छाछिया कह बड़सी का चालै ट्यूबल खेत म्हं...।