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हाल अच्छा बुरा सब भुला दीजिये / डी. एम. मिश्र
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हाल अच्छा बुरा सब भुला दीजिये
दोस्त आये हैं बस मुस्करा दीजिये
दिल में क्या आपके देखता कौन है
अपनी नज़रों का जलवा दिखा दीजिये
दूसरा मेरे जैसा मिलेगा कहाँ
मुझको अपना बनाकर दगा दीजिये
तुम ही कहते हो मुझको कुछ आता नहीं
मुझको चालाकियाँ कुछ सिखा दीजिये
हर तरफ़ आपका राज क़ायम रहे
आह निकले कोई तो दबा दीजिये
रात आधी गयी, नींद आती नहीं
कोई मीठी सी लोरी सुना दीजिये
हो नवाज़िश करम शुक्रिया आपका
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का बता दीजिये