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हुए लखपती राम मोहन्ती / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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धन्य भाग हैं
हुए लखपती राम मोहन्ती हैं
पल भर में
कृपा हुई उनके घर पर
सागर की ऐसी
लोग मनाते
कभी किसी पर हो न वैसी
एक निमिष में
बिला गया था पूरा उनका घर
सागर में
घर में ही थे
उनकी बीवी- उनके बच्चे
उनकी आँखों में भी थे
हाँ, सपने सच्चे
पाप किसी का
लहरें ज़बरन घुस आईं थीं
उनके घर में
बड़े शाह ने, हाँ, मुआवज़ा
भेजा कल है
राम मोहन्ती के आँखों में
जल-ही-जल है
कुलविहीन वे
खोज रहे अब अगली साँसें
किसी भँवर में