हुए हाम किस कारण बरबाद / दयाचंद मायना
हुएहाम किस कारण बरबाद, दियो जी हामनै भी प्रसाद
पुजारी अपने मन्दिर का...टेक
संतरा, अंगूर, केला, थोड़ा सा अनार दे दो
भीतर ना आणे देते तो, आपणी हद से बाहर दे दो
बुद्धिहीन मतीमंद नै, कुछ ज्ञान का प्रचार दे दो
घणा ना आधे म्हं तै आध, सुणांे जी गरीबां की फरियाद
अंधेरा मेटो अन्दर का...
हाम भीलां के बालक सारे, भूखे इस स्थान के
खोल कै कवाड़ दर्शन, करवा दो भगवान के
गरीबां ऊपर दया करो जी, इस तै बड़ा दान के
ज्ञान के अंकुश तेग फौलाद, छुटा दो उतपणे बकवाद
आदमी बणज्या बन्दर का...
भूण्डी हो सै गरीबी, बिसराओ चाहे सराह दो
अकल बिना उघाड़ी, नंगी, कुर्ता, कच्छा पराह दो
धमकाओ या मारो, चाहे डंडा लेकै डरा दो
करा दो हामनै भी आजाद, बजाकै ज्ञान शब्द का नाद
या दुनियां खेल कलन्दर का...
सतगुरु मुंशी ‘दयाचन्द’ नै, ईश्वर बणकै आड़ दे
साज बाज लयसुर का गाणा, छनद मूसल सा गाड़ दे
भय का भूत दूर कर दिल से, कर काया मैं ठाड़ दे
काढ़ दे मन का मैल मवाद, गुरु जी ऐसी तारो खराद
साफ हो रोग जलंधर का...