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हुस्न पर बेझिझक नज़र डालो / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
हुस्न पर बेझिझक नज़र डालो
खूबसूरत गुनाह कर डालो
सारा मंज़र हसीन कर डालो
प्यार की फिर नज़र इधर डालो
नाम महबूब के जो ख़त लिक्खो
उसमें कुछ सुर्खिए-जिगर डालो
फिर कहो बात जो भी कहनी हो
शेर में पहले कुछ असर डालो
चोट खाने को भी तैयार रहो
ओखली में जो अपना सर डालो
उम्र भर जिसको याद करते रहो
भूल ऐसी भी कोई कर डालो