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हृदय से चन्द मिनटों का / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
हृदय से चन्द मिनटों का, मुझे तुम प्यार तो करते।
निकट आते ग़ज़ल गाकर, मधुर मनुहार तो करते।।
दिखावे का भुला अभिनय, अभी भी प्रेम को समझो।
रिझाने के लिए मुझको, सहज Ük`aगार तो करते।।
रसीली बात हर कहकर, रिझाते हो मुझे प्रायः।
सही मन्तव्य का सम्मुख, कभी इज़हार तो करते।।
तुम्हारी याद में मुझको, नहीं अब नीन्द है आती।
प्रणय का प्राप्त आमन्त्रण, तनिक स्वीकार तो करते।।
हमारा प्यार बिन जीवन, अभी तक क्यों अधूरा है?
सजाए स्वप्न जो हमने, उन्हें साकार तो करते।।