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हे यम / देवेन्द्र आर्य
Kavita Kosh से
पिता के पहले लिखता ही हूँ
कहो तो माँ के पहले भी लिख दूँ
बहन के पहले लिखते
भाँजे का चेहरा काँप जाएगा आँखों में
फिर भी !
ज़िन्दगी के लिए यदि ज़रूरी ही हुआ
तो भाई के पहले भी लिख दूँगा स्वर्गीय
और वह मेरा पड़ोसी !
जब कोई नहीं था तब तो वो था
फिर भी
जान पर आन पड़ेगी तो मन मारकर
उसके पहले भी लिख दूँगा स्वर्गीय
गला दबाकर ही लिखवाना है
तो पत्नी के पहले भी लिखवा लो
पर माफ़ करना
जवान बेटे के पहले स्वर्गीय न लिख पाऊँगा
हे यम !
तुम भले चाहना तो पिता पुत्र दोनों के आगे
लिख लेना स्वर्गीय !