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हे लियो डाट जरूरी जाणे आले नै / दयाचंद मायना

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हे लियो डाट जरूरी जाणे आले नै
खद्दर के बाणे आले नै...टेक

कदे लेकै टिकट बैठज्या ना, पंजाब रोड़वेज म्हं
दिलदार ड्राईवर कहर्या सै, गाड़ी छोडू तेज म्हं
चला गया तै मै मर जांगी, उस छेले के हेज म्हं
बिस्तर नै भी पाड़ बगा दूं आग लगा दूं सेज मैं
खोया टेम रकाने आले नै...

निर्धन खाली हो ज्यागी, भारत की भूमि लाल बिना
दुनियां अचल-बिचल होज्यागी, इसे वीर की चाल बिना
वीर जवान भारत के सै, ऊंच-नीच के ख्याल बिना
लोग लुगाई हिन्दू भाई, गावैंगे सुर-ताल बिना
सदा हर गुण गाणे आले नै...

जुल्म करा दोपहरी म्हं, गोली नै छाती तोड़ दी
फीमो रही रोवती पिया, निगाह म्हारे तै मोड़ दी
टप-टप करके गुड़वाले नै, मृत्यु की गाड़ी जोड़ दी
चन्दन की लाकड़ियों के मैं, छुपा पिया की खोड़ दी
इतिहास रचाणे आलै नै...

कह ‘दयाचन्द’ सतयुग के मैं, मीठा गण्डा ईख था
त्रेता के मैं राम-रामायण लिखणियां वाल्मीक था
द्वापर युग मैं संख बजाया, पाण्डवों के नजदीक था
कलयुग के मैं सतगुरु मुंशी बाटण आया भीख था
सही बात कही मायने आले नै...