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हैवी टेंक तोप के गोले / दयाचंद मायना

हैवी टेंक तोप के गोले, चलै सै अगन के तीर
रे मत पीठ दिखाईए, मेरी माँ के जाए वीर...टेक

खेलै जवान खून की होली, जंग बतलावैं सैं
पाकिस्तान दूसरा चीनी, संग बतलावैं सैं
म्हारे भारत का अंग बतलावै सै, जम्मू और कश्मीर...

भारत मां की लाज बचाले, ना देखै आगै-पीछै
देश की खातिर जान लुटा दे, क्यूं मुट्ठी सी भींचै
तू ले कै बम टेंक के नीचै, खो दिए सकल शरीर...

मर जाइए और मार दिए, छाती ताण-ताण कै
डरकै मुँह मत दिखलाइए उल्टा आण कै
इतनी कहकै बात बाहण कै, बहा नैन तै नीर...

एक दिन सबनै मरणा होगा, के सदा रहणा सै
तौब, रफल, तलवार, तीर मुर्दां का गहणा सै
यो ‘दयाचन्द’ का कहणा सै, पत्थर कैसी लकीर...