भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होवै शौक विरोधियां कै वो खाट पकड़ जागा / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

होवै शोक विरोधियां कै वो खाट पकड़ जागा।
बी.एस.पी. आई तो थारै त्यौहार सा मन जागा।...टेक

यो दो नम्बर का धन्धा किसनै सिखाया सै।
लीडर भी करै कमाई यो भी महै पाया सै।
दिखावै बजट घाटे म्हं घर आपणा बणाया सै।
यो इन्साफ करै कोण इसका भी महे इशारा सै।
इसकी जमानत भी ना होगी जिस दिन छापा पड़ जागा...

खाया माल देश का बेरा इस नै भी पट जागा।
सच्चा हो इंसाफ उड़ै दूध पाणी छण जागा।
अस्सी करोड़ का काढ्या घोटाला वो भी फंस जागा।
डंडा बेड़ी घलै हथकड़ी उसका चलाण कट जागा।
वो जिन्दगी भर ना लिकड़ सकै जेल कै म्हं मर जागा।

मुंह तोड़ देयो जवाब के थारा जीणा सै।
घर की पार्टी देओ वोट जै राज लेणा सै।
यो इंसाफ तो भाइयो थामनै करणा सै।
मोहर हाथी कै लाइयो जै जी सा लेणा सै।
थारै खुशी इतणी होवैगी थारा फूल सा खिल जागा।

डॉ. अम्बेडकर नै संविधान का नक्शा दिखाया सै।
राज करणिया जामै थी रानी उसका प्रेशन कराया सै।
छोटा-बड़ा कोई नहीं वोट एक सार लाया सै।
जनता ने भी नारा इसे भीम का लाया सै।
अमरसिंह थारी होगी सुणाई जिस दिन कांशीराम बण जागा...