हो मेरी टाल पिताजी / दयाचंद मायना
हो मेरी टाल पिताजी
बेसक तै ले पीट, चाहे बक गाल पिताजी...टेक
मनैं जरूरत कोन्या पिता रेडियो और कार की
दान के बहाने रिश्वत थैली 20 हजार की
मैं ना लेणा चाहता लड़की, ब्लैक के बाजार की
भारत में जरूरत है अब ज्ञान और प्रचार की
सोची है स्कीम हामनै देश के सुधार की
मिलती है शहादत, आदत बिगड़ी है संसार की
यो मगज घुमाणा पड़ै जगत दे नाल पिताजी...
धन आलां की इज्जत सारै, गरीबां का कहीं मान कोन्या
तुम ही तो बताओ पिता गरीब के इनसान कोन्या
वे लड़की कित जंागी जिनकी शादी खातिर दान कोन्या
उनका के राह होगा जिकै बिश्वे और मकान कोन्या
पा टेकण न धरती ठोड झोंपड़ी और छान कोन्या
याहे हाल रहा त म्हारा समरै हिन्दुस्तान कोन्या
बता गरीब कड़ै तै भरै दान के थाल पिताजी...
इस शादी न ओटणिया दुनियां मैं छोरे और भतेरे
मेरे तै भी तगड़े-2 ठाडे जोरा जोर भतेरे
पतले-पतले, लाम्बे-2 सुन्दर स्वरूप छटोर भतेरे
माया और मीट्ठे के लोभी शक्कर चट्टू खोर भतेरे
20 हजार दान की दौलत लूटण आले चोर भतेरे
या माया झंझट हो सै जी का जाल पिताजी...
जो एक नजर से सबनै देखै उसका नाम आर्य सै
सब देश इसा होणा चाहिए जिसा माना गाम आर्य सै
उठ बैठ शुद्ध चाल चलण सारा काम आर्य सै
वेद शास्त्र बतलाण मुक्ति का धाम आर्य सै
ओम हरी रस घुटण खातिर मीठा आम आर्य सै
मतना भूलै दयाचन्द सतगुरु मुंशी राम आर्य सै
तुम क्यूं बान्धो सो खड़े पाप की पाल पिताजी...