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"मैं बनाने चला हूँ वो इक आशियाँ / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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चुप रहेंगी भला कब तलक आँधियाँ | चुप रहेंगी भला कब तलक आँधियाँ | ||
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आ गया सड़क पे भींच कर मुट्ठियाँ | आ गया सड़क पे भींच कर मुट्ठियाँ | ||
− | बीज | + | बीज नफ़रत के मंचों से बोते हैं जो |
− | उनके | + | उनके पाँवों से अब खींच लो सीढियाँ |
पहने बैठे हैं महफ़िल में दस्ताने वो | पहने बैठे हैं महफ़िल में दस्ताने वो | ||
− | + | ख़ून में तो नहीं भीगी हैं उँगलियाँ | |
− | कोई तिनका | + | कोई तिनका फ़कत न समझ ले हमें |
अस्ल में हम तो माचिस की हैं तीलियाँ | अस्ल में हम तो माचिस की हैं तीलियाँ | ||
फूल जितने थे जाने कहाँ खो गए | फूल जितने थे जाने कहाँ खो गए | ||
− | सिर्फ काँटों भरी रह | + | सिर्फ काँटों भरी रह गई डालियाँ |
दिल के एवज 'अनिल' तुझको शीशा मिला | दिल के एवज 'अनिल' तुझको शीशा मिला | ||
− | जिस्म के नाम पर रह | + | जिस्म के नाम पर रह गई हड्डियाँ |
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01:00, 21 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
मैं बनाने चला हूँ वही आशियाँ
आ के जिसकी हिफाज़त करें बिजलियाँ
क्या हुआ छा गई हैं अगर बदलियाँ
चुप रहेंगी भला कब तलक आँधियाँ
ज़ुल्म जब हद से बाहर हुआ आदमी
आ गया सड़क पे भींच कर मुट्ठियाँ
बीज नफ़रत के मंचों से बोते हैं जो
उनके पाँवों से अब खींच लो सीढियाँ
पहने बैठे हैं महफ़िल में दस्ताने वो
ख़ून में तो नहीं भीगी हैं उँगलियाँ
कोई तिनका फ़कत न समझ ले हमें
अस्ल में हम तो माचिस की हैं तीलियाँ
फूल जितने थे जाने कहाँ खो गए
सिर्फ काँटों भरी रह गई डालियाँ
दिल के एवज 'अनिल' तुझको शीशा मिला
जिस्म के नाम पर रह गई हड्डियाँ