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द्रौपदी प्रसंग (फाग) / रामराज

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हरी हरि टेरे ।।1।।
हमैं उघारि देखि कइसै पइहैं, प्या रे प्यारे भीम सुधिया मोरी लेइहैं
तेउ अब मौन गहे रे ।।
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