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"जलाया आप हमने ज़ब्त कर कर आह-ए-सोज़ाँ को / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर

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जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को
 
जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को
  
हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> हम समझते है
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हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> हम समझते है
अलम को, यास को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को
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अलम<ref>दर्द</ref> को, यास<ref>चमेली</ref> को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को
  
 
जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल
 
जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल
कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां को  
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कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां<ref>तीर</ref> को  
  
 
न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई
 
न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई
हवा को, अब्र को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां को
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हवा को, अब्र<ref>बादल</ref> को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां<ref>उपवन</ref> को
  
नही कुलकुल दुआ देता है शीषा दम-ब-दम साकी
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नही कुलकुल<ref>बोतल से मदिरा गिरने का स्वर</ref> दुआ देता है शीशा दम-ब-दम साकी
सुबू को, खूम को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां को
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सुबू<ref>प्याला</ref> को, खूम<ref>मटका</ref> को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां<ref>शराबी</ref> को
  
तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर खो बैठा
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तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर<ref>निष्ठुर</ref> खो बैठा
खिरद को, होष को, ताकत को, जी को, दीना ईमां को,
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खिरद<ref>बुद्धि</ref> को, होश को, ताकत को, जी को, दीना ईमां को,
  
बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक ने जब इन्सान से बेहतर
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बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक<ref>ईश्वर</ref> ने जब इन्सान से बेहतर
मलक को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां को
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17:28, 30 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण


जलाया आप हमने, जब्त कर-कर आहे-सोजां<ref>जलती हुई आहें</ref> को
जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को

हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> हम समझते है
अलम<ref>दर्द</ref> को, यास<ref>चमेली</ref> को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को

जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल
कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां<ref>तीर</ref> को

न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई
हवा को, अब्र<ref>बादल</ref> को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां<ref>उपवन</ref> को

नही कुलकुल<ref>बोतल से मदिरा गिरने का स्वर</ref> दुआ देता है शीशा दम-ब-दम साकी
सुबू<ref>प्याला</ref> को, खूम<ref>मटका</ref> को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां<ref>शराबी</ref> को

तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर<ref>निष्ठुर</ref> खो बैठा
खिरद<ref>बुद्धि</ref> को, होश को, ताकत को, जी को, दीना ईमां को,

बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक<ref>ईश्वर</ref> ने जब इन्सान से बेहतर
मलक<ref>देवता</ref> को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां<ref>रूपसियां</ref> को

शब्दार्थ
<references/>