"जलाया आप हमने ज़ब्त कर कर आह-ए-सोज़ाँ को / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को | जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को | ||
− | हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> | + | हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> हम समझते है |
− | अलम को, यास को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को | + | अलम<ref>दर्द</ref> को, यास<ref>चमेली</ref> को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को |
जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल | जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल | ||
− | कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां को | + | कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां<ref>तीर</ref> को |
न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई | न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई | ||
− | हवा को, अब्र को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां को | + | हवा को, अब्र<ref>बादल</ref> को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां<ref>उपवन</ref> को |
− | नही कुलकुल दुआ देता है | + | नही कुलकुल<ref>बोतल से मदिरा गिरने का स्वर</ref> दुआ देता है शीशा दम-ब-दम साकी |
− | सुबू को, खूम को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां को | + | सुबू<ref>प्याला</ref> को, खूम<ref>मटका</ref> को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां<ref>शराबी</ref> को |
− | तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर खो बैठा | + | तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर<ref>निष्ठुर</ref> खो बैठा |
− | खिरद को, | + | खिरद<ref>बुद्धि</ref> को, होश को, ताकत को, जी को, दीना ईमां को, |
− | बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक ने जब इन्सान से बेहतर | + | बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक<ref>ईश्वर</ref> ने जब इन्सान से बेहतर |
− | मलक को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां को | + | मलक<ref>देवता</ref> को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां<ref>रूपसियां</ref> को |
</Poem> | </Poem> | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
17:28, 30 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
जलाया आप हमने, जब्त कर-कर आहे-सोजां<ref>जलती हुई आहें</ref> को
जिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां को
हमेशा कुंजे-तन्हाई<ref>अकेलापन</ref> में मूनिस<ref>सहायक</ref> हम समझते है
अलम<ref>दर्द</ref> को, यास<ref>चमेली</ref> को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां को
जगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिल
कटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां<ref>तीर</ref> को
न हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोई
हवा को, अब्र<ref>बादल</ref> को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां<ref>उपवन</ref> को
नही कुलकुल<ref>बोतल से मदिरा गिरने का स्वर</ref> दुआ देता है शीशा दम-ब-दम साकी
सुबू<ref>प्याला</ref> को, खूम<ref>मटका</ref> को, मय को, मयकदा को, मयपरस्तां<ref>शराबी</ref> को
तुझे दिल दे के मैं ऐ काफिरे-बेमहर<ref>निष्ठुर</ref> खो बैठा
खिरद<ref>बुद्धि</ref> को, होश को, ताकत को, जी को, दीना ईमां को,
बनाया ऐ ‘जफर’ खालिक<ref>ईश्वर</ref> ने जब इन्सान से बेहतर
मलक<ref>देवता</ref> को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां<ref>रूपसियां</ref> को