भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आज बिरज में होरी रे रसिया / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
}}
 
}}
  
आज  बिरज  में  होली  रे  रसिया  
+
आज  बिरज  में  होरी है रे  रसिया  
  
 
होरी  है  रे  रसिया, बरजोरी  है  रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
 
होरी  है  रे  रसिया, बरजोरी  है  रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
  
 +
आज  बिरज  में  होरी है रे  रसिया
 +
 +
कहूँ बहुत कहूँ थोरी है रे रसिया | आज  बिरज  में ...
  
 
इत  तन  श्याम  सखा  संग  निकसे  
 
इत  तन  श्याम  सखा  संग  निकसे  
पंक्ति 17: पंक्ति 20:
  
  
व्रत गुलाल  लाल  भये  बादर
+
उड़त गुलाल  लाल  भये  बदरा
  
 
केसर  की  पिचकारी  है  रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
 
केसर  की  पिचकारी  है  रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
  
  
बाजत  बीन, मृदंग, झांझ, डफली  
+
बाजत  बीन, मृदंग, झांझ डफली  
  
गावत  दे -दे - तारी  रे  रसिया  | आज  बिरज  में ...
+
गावत  दे -दे - तारी  है रे  रसिया  | आज  बिरज  में ...
  
  
श्यामा  श्याम मिल होली खेलें,
+
श्यामा  श्याम संग मिल  खेलें होरी,
  
तन  मन  धन  बलिहारी  रे  रसिया,
+
तन  मन  धन  बलिहारी है रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
 +
 
 +
होरी  है रे  रसिया, बरजोरी  है  रे  रसिया | आज  बिरज  में ...
  
आज  बिरज  में  होली रे  रसिया !
+
आज  बिरज  में  होरी रे  रसिया !

20:38, 29 जनवरी 2011 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आज बिरज में होरी है रे रसिया

होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

आज बिरज में होरी है रे रसिया

कहूँ बहुत कहूँ थोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

इत तन श्याम सखा संग निकसे

उत वृषभान दुलारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


उड़त गुलाल लाल भये बदरा

केसर की पिचकारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


बाजत बीन, मृदंग, झांझ ओ डफली

गावत दे -दे - तारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


श्यामा श्याम संग मिल खेलें होरी,

तन मन धन बलिहारी है रे रसिया | आज बिरज में ...

होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

आज बिरज में होरी रे रसिया !