भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बैठे लाल फूलन के चौवारे / कुम्भनदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुम्भनदास }}{{KKAnthologyGarmi}} Category:पद <poeM> बैठे लाल फूलन के …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:08, 27 मार्च 2011 के समय का अवतरण
बैठे लाल फूलन के चौवारे ।
कुंतल, बकुल, मालती, चंपा, केतकी, नवल निवारे ॥
जाई, जुही, केबरौ, कूजौ, रायबेलि महँकारे ।
मंद समीर, कीर अति कूजत, मधुपन करत झकारे ॥
राधारमन रंग भरे क्रीड़त, नाँचत मोर अखारे ।
कुंभनदास गिरिधर की छवि पर, कोटिक मन्मथ वारे ॥